IT Sector Big Fall:अब आगे क्या होगा? जाने next सप्ताह में क्या होगा?
भारत का IT sector देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है। Infosys, TCS, Wipro, HCL Technologies और Tech Mahindra जैसी दिग्गज कंपनियों ने न केवल भारत को global IT hub बनाया है, बल्कि लाखों लोगों को रोज़गार भी दिया है और भारत की GDP में बड़ा योगदान किया है। यह sector outsourcing, software services, cloud solutions और AI-based innovations से दुनियाभर में demand बनाता रहा है।
IT Sector Big Fall
लेकिन हाल के समय में, यह मजबूत sector भी दबाव झेल रहा है। Global recession fears, U.S. H-1B visa policy में बदलाव, clients की IT spending में कमी और currency fluctuations की वजह से Indian IT sector downtrend में है। पिछले कुछ महीनों में Nifty IT Index लगातार कमजोरी दिखा रहा है, और कंपनियों के quarterly results में भी margins पर दबाव साफ़ दिखाई दे रहा है।
इस blog का मकसद है हर हफ्ते Indian IT sector की market performance, top companies (Infosys, TCS, Wipro, Tech Mahindra आदि) की stock movement और global cues का आसान language में weekly update देना। ताकि investors और readers को sector की सही स्थिति और आने वाले trends की जानकारी मिल सके।
भारतीय आईटी सेक्टर की मौजूदा स्थिति
26 सितम्बर 2025 तक, भारतीय आईटी इंडेक्स (Nifty IT) दबाव में है और टेक्नोलॉजी सेक्टर में कमजोरी देखने को मिल रही है।
प्रमुख आँकड़े
इंडेक्स स्तर: लगभग 33,702.00, गिरावट –846.30 अंक (–2.45%)
52-सप्ताह प्रदर्शन: पिछले एक साल में इंडेक्स लगभग –26.88% नीचे
Trailing P/E: ~ 24.3 गुना
प्राइस टू बुक (P/B): ~ 6.3 गुना
डिविडेंड यील्ड: ~ 3.2%
EPS (इंडेक्स आधार पर): ~ 1,384.6
हालिया रिटर्न्स (समय अवधि के अनुसार)
अवधि | बदलाव | संकेत |
---|---|---|
इंट्राडे | –2.45% | दिनभर कमजोरी, बिकवाली हावी |
1 सप्ताह | –7.86% | शॉर्ट टर्म में तेज गिरावट |
3 महीने | –13.19% | पिछले तिमाही में नकारात्मक ट्रेंड |
6 महीने | –10% | बहुत तेज गिरावट |
1 साल | –20.35% | दीर्घकालिक दबाव, निवेशकों का भरोसा कमजोर |
Global & Domestic Factors – भारतीय IT सेक्टर पर असर
Global (अंतरराष्ट्रीय) कारक और समाचार
H-1B वीज़ा शुल्क वृद्धि (U.S.)
संयुक्त राज्य अमेरिका ने H-1B वीज़ा शुल्क को बढ़ाकर US$ 100,000 कर दिया है।
यह विशेष रूप से नई वीज़ा आवेदन पर लागू होगा।
इस नीति से भारतीय आईटी कंपनियों को अतिरिक्त लागत और रणनीतिक बदलावों का सामना करना पड़ सकता है।निवेश एवं स्थानीय भर्ती बढ़ाना
इस चुनौती को देखते हुए, भारतीय IT कंपनियाँ अमेरिकी बाजार में स्थानीय भर्ती (onshore hiring) और Global Capability Centres (GCCs) का विस्तार कर रही हैं।
उदाहरण के लिए, यह कदम H-1B वीज़ा निर्भरता को कम करने में सहायक माना जा रहा है।Global tech खर्च में कमी की उम्मीद (Tariff दबाव)
विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि 2025 में वैश्विक टेक्नोलॉजी खर्च $6 ट्रिलियन के लक्ष्य को छू नहीं पाएगा, जसमें अमेरिका की टैरिफ नीतियाँ और बजट अनिश्चितताएं प्रमुख कारण हैं।
इस दबाव के कारण ऑउटसोर्सिंग (outsourcing) परियोजनाएँ संवेदनशील हो सकती हैं, जिससे भारत की सेवा निर्यात (IT exports) प्रभावित हो सकती है।TCS में बड़े पैमाने पर छंटनी — AI का दबाव
भारत की शीर्ष IT कंपनी TCS ने ~12,000 कर्मचारियों की छंटनी की घोषणा की है — यह अब तक की सबसे बड़ी छंटनी है।
इसका कारण कंपनी ने बताया है “skill mismatch” — लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यह AI, ऑटोमेशन और परिवर्तनशील क्लाइंट मांगों की प्रतिक्रिया है।
यह संकेत देता है कि भारतीय IT क्षेत्र को तकनीकी पुनर्स्थापन (reskilling, upskilling) और संरचनात्मक बदलावों का सामना करना होगा। Source: –Reuters newsमहत्वपूर्ण सौदे — सकारात्मक संकेत
ऐसे समय में एक सकारात्मक खबर यह है कि LTIMindtree ने एक विदेशी कृषि व्यापार कंपनी के साथ $450 मिलियन का बहु-वर्षीय अनुबंध हासिल किया है — यह कंपनी का अब तक का सबसे बड़ा सौदा है।
यह दिखाता है कि बड़े क्लाइंटों के साथ लेनदेन अभी भी संभव हैं, बशर्ते व्यवसाय मॉडल, कौशल और टेक्नोलॉजी अनुकूल हों।HIRE Act प्रस्ताव (U.S.)
अमेरिकी कांग्रेस में प्रस्तावित HIRE Act (Halting International Relocation of Employment) का मकसद है विदेशों में आउटसोर्सिंग पर 25% टैक्स लगाना।
यदि लागू हुई, तो यह भारतीय IT कंपनियों की राजस्व संरचना और अनुबंध मॉडल को प्रभावित कर सकती है।
Domestic / भारत-आधारित कारक
भारत की आर्थिक मजबूती और वृद्धि अनुमान
भारत अभी भी दुनिया की तेज़ी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। Crisil ने अनुमान लगाया है कि FY 2026 में GDP वृद्धि ~ 6.5% हो सकती है। Sources: – S&P Global
इस मजबूत घरेलू वृद्धि ने विदेशी दबावों और वैश्विक अस्थिरता को कुछ हद तक संतुलित करने में सहायक भूमिका निभाई है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भी कहा है कि भारत में घरेलू कारक मजबूत हैं — युवाशक्ति, सुधार, डिजिटल ढाँचा, बेहतर शासन आदि — जो वैश्विक झटकों को झेलने की क्षमता देते हैं।निवेश और टेक बजट वृद्धि की आशा
Nasscom की रिपोर्ट के अनुसार, FY26 में कई प्रौद्योगिकी सेवा प्रदाता (tech services providers) “technology spending” बढ़ने की उम्मीद कर रहे हैं।
यानी भारत में खुद की तकनीक परियोजनाओं, डिजिटल अपनाने (digital adoption) और इनोवेशन पर खर्च बढ़ने की संभावना है।प्रतिस्पर्धा, कौशल लागत, और टैलेंट चुनौती
भारत की IT कंपनियाँ अब उच्च टैलेंट लागत, कर्मचारियों का आवागमन (attrition), और कौशल अद्यतन (reskilling) की चुनौतियों का सामना कर रही हैं।
इस समस्या के समाधान के लिए कंपनियाँ प्रशिक्षण कार्यक्रम, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस / मशीन लर्निंग कौशल विकास, और आंतरिक पुनर्सटीउट (internal upskilling) पर जोर दे रही हैं।नीति, कर और विनियमन
सरकार डिजिटल इंडिया, AI मिशन और अन्य नीतिगत पहल से IT / डिजिटल भागीदारी को बढ़ावा दे रही है।
इसके अलावा, AI से जुड़ी घटनाओं (AI incident reporting) और टेलीकॉम कानूनों में संशोधन पर शोध व चर्चा हो रही है ताकि भविष्य में AI आधारित जोखिमों को नियंत्रित किया जा सके।
उदाहरण के लिए, AI incident reporting को टेलीकॉम एवं डेटा सुरक्षा नियमों में शामिल करने की सिफारिशें सामने आई हैं।
US और European Market Demand for IT Services
अमेरिका और यूरोप भारतीय IT कंपनियों के लिए सबसे बड़े क्लाइंट मार्केट हैं।
हाल ही में ग्लोबल टेक्नोलॉजी बजट्स पर दबाव दिखा है, जिसके चलते नए डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन प्रोजेक्ट्स की गति धीमी हुई है।
यूरोप में मंदी के डर और अमेरिका की टैरिफ नीतियों के कारण कई कंपनियाँ IT खर्च को टाल रही हैं या कम कर रही हैं।
हालांकि, कुछ बड़े सौदे अभी भी हुए हैं (जैसे LTIMindtree का $450 मिलियन डील), जो यह दिखाता है कि लंबी अवधि में मांग बनी हुई है।
👉 असर: शॉर्ट टर्म में डिमांड स्लो है, लेकिन लॉन्ग टर्म ग्रोथ पोटेंशियल बरकरार है।
2. Global Recession Fears / Interest Rate Impact
अमेरिका और यूरोप में ब्याज दरें ऊँची रहने से कंपनियों का IT बजट प्रभावित हुआ है।
अगर वैश्विक मंदी गहराती है तो क्लाइंट्स अपने discretionary IT खर्च (जैसे नई तकनीकी पहल, क्लाउड माइग्रेशन, डिजिटल इनोवेशन) को और घटा सकते हैं।
इसका सीधा असर भारतीय IT कंपनियों की रेवेन्यू ग्रोथ पर होगा, क्योंकि उनका अधिकांश हिस्सा विदेशी बाजार से आता है।
👉 असर: मंदी की आशंका से स्टॉक प्राइस पर दबाव और क्लाइंट प्रोजेक्ट्स में देरी।
3. Rupee-Dollar Exchange Rate
भारतीय IT कंपनियाँ ज़्यादातर कमाई US Dollar (USD) में करती हैं।
अगर रुपया डॉलर के मुकाबले कमजोर होता है, तो रेवेन्यू और प्रॉफिट मार्जिन बढ़ जाते हैं।
अभी रुपये में अस्थिरता बनी हुई है, और अगर यह ट्रेंड जारी रहता है तो IT कंपनियों को विदेशी मुद्रा लाभ (forex gain) मिल सकता है।
👉 असर: कमज़ोर रुपया = IT कंपनियों की कमाई में फायदा, लेकिन करेंसी की ज्यादा वोलैटिलिटी से हेजिंग कॉस्ट बढ़ जाती है।
4. Hiring Freeze / Job Layoffs News
बड़ी IT कंपनियों जैसे TCS ने हाल ही में ~12,000 कर्मचारियों की छंटनी की घोषणा की है। इसका कारण AI और Automation को बताया गया है।
Wipro और Infosys जैसी कंपनियाँ भी फिलहाल Hiring Freeze मोड में हैं, यानी नई भर्तियाँ कम की जा रही हैं।
इसका संकेत है कि बिज़नेस ग्रोथ पर दबाव है और कंपनियाँ खर्च नियंत्रण को प्राथमिकता दे रही हैं।
Domestic level पर, इंजीनियरिंग और फ्रेशर हायरिंग भी प्रभावित हुई है, जिससे जॉब मार्केट में चिंता बढ़ी है।
👉 असर: सेक्टर को Reskilling, AI adoption और Productivity बढ़ाने की दिशा में काम करना होगा।
Expert Opinions & Market Sentiment – भारतीय IT सेक्टर
भारतीय IT सेक्टर पर वर्तमान में ग्लोबल और डोमेस्टिक दबाव साफ दिख रहा है। विशेषज्ञों और इंडस्ट्री रिपोर्ट्स की ताज़ा राय इस सेक्टर की दिशा को और स्पष्ट करती है। नीचे कुछ प्रमुख विचार और उनका विश्लेषण दिया जा रहा है:
Jefferies Report (22 सितम्बर 2025)
Jefferies ने इसे कहा – “$100,000 curveball for the Indian IT sector”। नई H-1B फीस IT कंपनियों के margins पर दबाव बनाएगी।
👉 इसका असर शेयर प्राइस और hiring strategy दोनों पर होगा।
📌 स्रोत: Reuters, 22 सितम्बर 2025
Moody’s – Sweta Patodia (22 सितम्बर 2025)
“नई H-1B visa fee भारतीय IT सर्विस कंपनियों के operating cost को बढ़ाएगी … और यह 25% outsourcing tax के खतरे को और गंभीर बना सकती है।”
👉 इससे दीर्घकालिक profitability प्रभावित हो सकती है।
📌 स्रोत: Reuters, 22 सितम्बर 2025
EY India – Jignesh Thakkar (11 सितम्बर 2025)
“HIRE Act व्यापक बदलाव ला सकता है … outsourcing की economics बदल सकती है और international service contracts पर tax liability बढ़ सकती है।”
👉 ये स्पष्ट करता है कि US regulatory risks बढ़ रहे हैं।
📌 स्रोत: Reuters, 11 सितम्बर 2025
Technical Analysis Snapshot – Nifty IT Index (Weekly Chart)
1. Chart Overview
Current Price: 33,702
Weekly Change: –7.86% (भारी गिरावट)
Volume: 170.76M (गिरावट के दौरान ऊँचा volume, selling pressure का संकेत)
2. Support & Resistance Levels
Immediate Support: ~33,275 (Bollinger Band Lower level)
Major Support: ~32,500 (2023 के consolidation zone से)
Immediate Resistance: ~35,000 (9-week moving average, MA line)
Strong Resistance: ~36,500 – 39,800 (Bollinger Band middle & upper band)
👉 इसका मतलब है कि 33,200–32,500 एक crucial demand zone है। अगर ये टूटता है तो further downside खुल सकता है।
3. Trend Indicators
a) Moving Averages (MA)
9-Week MA: ~35,059 (price अभी इसके नीचे है → bearish संकेत)
Price लगातार short-term MA से नीचे trade कर रहा है, यानी trend अभी negative है।
b) Bollinger Bands (BB)
Price lower band (~33,275) के पास है।
अगर यहाँ से bounce आता है तो short-term pullback हो सकता है।
लेकिन अगर breakdown होता है, तो next support 32,500 तक जा सकता है।
c) MACD (12,26,9)
MACD Line: –898.26, Signal Line: –857.54 → Negative territory में।
Histogram: –40.72 → Bearish momentum जारी।
👉 MACD अभी downtrend confirm कर रहा है।
4. Market Sentiment from Chart
Selling pressure ज़्यादा है क्योंकि volume गिरावट के साथ बढ़ा है।
Price अभी critical support (33,200) पर है, अगर ये hold होता है तो short-term bounce possible है।
Overall trend bearish to sideways दिख रहा है, जब तक price 36,000–36,500 के ऊपर sustain नहीं करता।
Technical View
Short-term: 33,200–32,500 support zone पर price reaction critical होगा।
Medium-term: Trend negative है; recovery के लिए कम से कम 36,500 के ऊपर weekly closing चाहिए।
Investor Sentiment: फिलहाल cautious, क्योंकि technical indicators में weakness है।