agricultural-income-kya-hota-hai: जानें क्या है Agricultural Income और इससे जुड़ी Taxation नियम
Introduction | परिचय
agricultural-income-kya-hota-hai: जानें क्या है Agricultural Income और इससे जुड़ी Taxation नियम: भारत में कृषि एक प्रमुख क्षेत्र है, जिससे लाखों लोगों की आजीविका जुड़ी हुई है। भारतीय अर्थव्यवस्था में इसका महत्व देखते हुए, कृषि आय को आयकर अधिनियम के तहत विशेष दर्जा प्राप्त है। Agriculture Income को केंद्र सरकार द्वारा करमुक्त रखा गया है, लेकिन इसे पूरी तरह से कर से छूट प्राप्त नहीं होती, खासकर जब इसे अन्य आय के साथ मिलाकर देखा जाता है। इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि agriculture income tax से जुड़ी क्या शर्तें हैं, किस प्रकार कृषि आय को करमुक्त रखा जाता है, और कब इसे कर योग्य आय में गिना जाता है। हम सब जानेगे इस ब्लॉग में।
भारत सरकार ने कृषि आय पर छूट देने के साथ-साथ इसे टैक्स प्रणाली में शामिल करने के लिए कुछ नियम बनाए हैं। इस लेख में हम विस्तार से चर्चा करेंगे कि कृषि आय की कराधान स्थिति क्या है, इसके लिए क्या शर्तें हैं, और इससे जुड़े कानूनी पहलू क्या हैं। सबसे पहले ये जानेगे Agricultural Income क्या है ?
What is Agricultural Income? | कृषि आय क्या है?
Agriculture income का तात्पर्य उन आय स्रोतों से है जो विशेष रूप से कृषि कार्यों से उत्पन्न होते हैं। Section 2(1A) के अनुसार, कृषि आय को निम्नलिखित स्रोतों से अर्जित किया जा सकता है:
- कृषि भूमि से किराया या राजस्व: वह आय जो भूमि के किराए या राजस्व से प्राप्त होती है, बशर्ते वह भूमि कृषि के लिए उपयोग की गई हो।
- कृषि उत्पादों से मुनाफा: फसल, फल, सब्जी या अन्य कृषि उत्पादों की बिक्री से होने वाली आय।
- कृषि भवनों से आय: वे भवन जो कृषि कार्यों के लिए उपयोग किए जाते हैं, जैसे कि गोदाम या स्टोरेज यूनिट्स, उनसे होने वाली आय भी कृषि आय मानी जाती है।
- यह आय तभी कृषि आय मानी जाती है जब भूमि कृषि के लिए उपयोग की गई हो और उस पर फसल या उत्पाद उगाए गए हों। इसके अलावा, भवन या गोदाम भी केवल तभी कृषि आय के तहत आते हैं जब वे सीधे कृषि कार्यों से जुड़े हों।
Exemption of Agricultural Income from Tax | कृषि आय पर कर छूट
Section 10(1) के अनुसार, कृषि आय को केंद्रीय स्तर पर कर से मुक्त रखा गया है। यानी कि, केंद्र सरकार कृषि आय पर कर नहीं लगाती। हालांकि, कृषि आय को पूरी तरह से छूट प्राप्त नहीं होती है, खासकर जब इसे अन्य गैर-कृषि आय के साथ जोड़ा जाता है। यह स्थिति तब आती है जब किसी व्यक्ति की कृषि आय 5,000 रुपये से अधिक होती है और उसकी अन्य आय भी न्यूनतम छूट सीमा से अधिक होती है। इस स्थिति में आंशिक एकीकरण (Partial Integration) की प्रक्रिया लागू होती है।
Partial Integration of Income | आय का आंशिक एकीकरण
Partial integration एक प्रक्रिया है जिसके तहत कृषि आय पर सीधे कर नहीं लगता, लेकिन यह व्यक्ति की कुल आय की कर दर को प्रभावित करती है। उदाहरण के लिए, यदि आपकी गैर-कृषि आय 5 लाख रुपये है और कृषि आय 2 लाख रुपये है, तो संयुक्त आय पर कर की गणना की जाती है। इस प्रकार कृषि आय का अप्रत्यक्ष रूप से गैर-कृषि आय पर प्रभाव पड़ता है और इसे ऊंचे कर स्लैब में ले जा सकता है।
इस प्रक्रिया में, आपकी कुल आय (कृषि + गैर-कृषि) पर कर की गणना की जाती है और इसे एकीकृत तरीके से आंका जाता है। आइए समझते हैं कि कर की गणना किस प्रकार होती है:
Steps to Calculate Tax with Agricultural Income | कृषि आय के साथ कर की गणना
यदि किसी व्यक्ति की कृषि आय 5,000 रुपये से अधिक है और उसकी गैर-कृषि आय कर योग्य सीमा से ऊपर है, तो Partial Integration की प्रक्रिया लागू होती है। इस प्रक्रिया के तहत कर की गणना निम्नलिखित चरणों में की जाती है:
- पहला कदम: आपकी कुल आय (कृषि + गैर-कृषि) को जोड़ा जाता है।
- दूसरा कदम: संयुक्त आय पर कर की गणना की जाती है।
- तीसरा कदम: न्यूनतम छूट सीमा (Basic Exemption Limit) + कृषि आय पर कर की गणना की जाती है।
- चौथा कदम: दोनों कर गणनाओं के बीच का अंतर आपकी अंतिम कर देयता को दर्शाता है।
यह प्रक्रिया कर योग्य आय के लिए कर दर को प्रभावित करती है और आपके गैर-कृषि आय पर लागू कर दर को बढ़ा सकती है।
Taxability of Agricultural Income | कृषि आय की कराधान स्थिति
भारतीय आयकर कानूनों के तहत, कृषि आय को करमुक्त रखा गया है, लेकिन यह गैर-कृषि आय के साथ मिलकर व्यक्ति की कर देयता को प्रभावित कर सकती है। यदि आपकी कुल आय (कृषि और गैर-कृषि) न्यूनतम छूट सीमा से अधिक है, तो इस स्थिति में आपकी कृषि आय को ध्यान में रखते हुए कर की गणना की जाएगी।
What is NOT Considered Agricultural Income? | कृषि आय में क्या शामिल नहीं होता
कुछ आय के स्रोत, जो भूमि से जुड़े हो सकते हैं, उन्हें Agricultural Income के तहत नहीं गिना जाता। इन स्रोतों में शामिल हैं:
- प्रसंस्कृत कृषि उत्पादों की बिक्री से आय: यदि कृषि उत्पादों को संसाधित करके बेचा जा रहा है, जैसे आटा बनाने के लिए गेहूं या तेल निकालने के लिए मूंगफली, तो इसे कृषि आय के रूप में नहीं गिना जाएगा।
- लकड़ी या वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए उगाए गए पेड़ों की बिक्री: यदि पेड़ वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए उगाए जाते हैं और उनकी बिक्री से आय होती है, तो इसे कृषि आय नहीं माना जाएगा।
- डेयरी, पोल्ट्री फार्म या मछली पालन से आय: ये गतिविधियां भले ही कृषि से संबंधित हों, लेकिन इनसे होने वाली आय को कृषि आय के रूप में नहीं गिना जाएगा।
State-Level Taxation | राज्य स्तर पर कृषि आय का कराधान
हालांकि केंद्र सरकार कृषि आय पर कर नहीं लगाती, लेकिन राज्य सरकारें राज्य स्तरीय कराधान के तहत कुछ स्थितियों में कर लगा सकती हैं। उदाहरण के लिए, यदि किसी वित्तीय वर्ष में आपकी कृषि आय 5,000 रुपये से अधिक है, तो कुछ राज्यों में इस पर कर लगाया जा सकता है। राज्य सरकारें अपने नियमों के आधार पर कृषि आय को कर के दायरे में ला सकती हैं।
Key Conditions for Agricultural Income Exemption | कृषि आय की करमुक्ति के लिए मुख्य शर्तें
Agriculture income को करमुक्त रखने के लिए कुछ शर्तें निर्धारित की गई हैं, जिनका पालन करना जरूरी है:
- कृषि भूमि का उपयोग: आय तभी करमुक्त होगी जब वह भूमि कृषि उद्देश्यों के लिए उपयोग की गई हो। इसका मतलब है कि भूमि का उपयोग फसल उगाने, बुवाई करने या किसी अन्य कृषि गतिविधि के लिए होना चाहिए।
- भूमि का कृषि के लिए उपयोग की पुष्टि: यह साबित करना जरूरी है कि जिस भूमि से आय प्राप्त हो रही है, वह केवल कृषि कार्यों के लिए उपयोग की गई है।
- स्वामित्व का महत्व: कृषि आय के लिए भूमि का स्वामित्व जरूरी नहीं है। आप लीज पर ली गई भूमि से भी कृषि आय प्राप्त कर सकते हैं।
Special Tax Exemptions for Agricultural Income | कृषि आय पर विशेष कर छूट
यदि आप कृषि भूमि बेचते हैं और उससे प्राप्त आय को पुन: कृषि भूमि खरीदने में लगाते हैं, तो आपको Section 54B के तहत कर छूट प्राप्त हो सकती है। इस छूट का लाभ उठाने के लिए कुछ शर्तें होती हैं:
- बेची गई भूमि को पिछले दो वर्षों से कृषि के लिए उपयोग किया जा रहा हो।
- बिक्री से प्राप्त राशि को दो वर्षों के भीतर किसी अन्य कृषि भूमि खरीदने में लगाना होगा।
यह छूट केवल व्यक्तियों और Hindu Undivided Families (HUF) के लिए लागू होती है। इसका उद्देश्य किसानों और भूमि मालिकों को कर में राहत देना है ताकि वे अपनी कृषि गतिविधियों को बनाए रख सकें और विस्तार कर सकें।
Agricultural Income and GST | कृषि आय और जीएसटी
कृषि उत्पादों की बिक्री और उससे जुड़ी सेवाओं पर Goods and Services Tax (GST) का भी प्रभाव पड़ता है। हालांकि कृषि से सीधे जुड़ी गतिविधियों पर जीएसटी नहीं लगता, लेकिन कुछ सेवाओं, जैसे कि कृषि उपकरणों की बिक्री, पर जीएसटी लागू होता है। यदि आप कृषि उत्पादों का व्यापार करते हैं या प्रसंस्कृत कृषि उत्पाद बेचते हैं, तो जीएसटी नियमों का पालन करना जरूरी होगा।
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Conclusion | निष्कर्ष
कृषि भारत की अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है और इसके चलते Agriculture Income को आयकर अधिनियम के तहत विशेष दर्जा प्राप्त है। हालांकि कृषि आय को Section 10(1) के तहत करमुक्त रखा गया है, लेकिन यह आय अन्य आय के साथ मिलकर कराधान की प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती है। कराधान की जटिलताओं को समझना और सही तरीके से कर योजना बनाना महत्वपूर्ण है, खासकर उन लोगों के लिए जिनके पास कृषि और गैर-कृषि दोनों आय के स्रोत हैं।
FAQS / अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
1.कितनी agricultural income tax free होती है?
2.Income Tax में कृषि भूमि क्या है?
लेकिन अगर urban area (शहरी क्षेत्र) में स्थित भूमि पर खेती होती है, तो उस पर कुछ मामलों में टैक्स लगाया जा सकता है।
3.क्या 5 लाख तक की आय कर-मुक्त है?
4.क्या कृषि आय को ITR में दिखाना अनिवार्य है?
इससे आपको tax calculation में मदद मिलेगी और यह सुनिश्चित करेगा कि आप किसी भी टैक्स नियम का पालन कर रहे हैं।
5.ITR के लिए छूट की सीमा क्या है?
Under 60 years: ₹2,50,000
60 to 80 years (Senior Citizens): ₹3,00,000
Above 80 years (Super Senior Citizens): ₹5,00,000
अगर आपकी total income इस exemption limit से कम है, तो आपको income tax भरने की आवश्यकता नहीं है।
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