Stock Market के 110 Important Terms: हर Beginner Trader के लिए जरूरी जानकारी

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1 Stock Market के 110 Important Terms: हर Beginner Trader के लिए जरूरी जानकारी

Stock Market के 110 Important Terms: हर Beginner Trader के लिए जरूरी जानकारी

Introduction: Stock Market का सफर शुरू करने के लिए जरूरी Terms 

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Stock Market के 110 Important Terms: हर Beginner Trader के लिए जरूरी जानकारी : Stock Market में शुरुआत करना काफी रोमांचक और फायदेमंद हो सकता है। लेकिन इसके लिए आपको कुछ महत्वपूर्ण शब्दों (Terms) का ज्ञान होना चाहिए। इन Terms की सही समझ से आप सही फैसले ले सकते हैं और जोखिम को कम कर सकते हैं। इस ब्लॉग में हम आपको 110  Stock Market Terms के बारे में बताएंगे जो हर Beginner Trader को जानने चाहिए। तो आइये एक एक कर के देखते है।  

  1. Basic Stock Market Terms (बेसिक शब्दावली)

Stock Market की दुनिया में प्रवेश करने से पहले इन बेसिक शब्दों को समझना जरूरी है। ये शब्द आपको Trading और Investing की मूलभूत समझ प्रदान करेंगे। 

Stock (स्टॉक): 

किसी कंपनी के हिस्से का प्रतिनिधित्व करता है। जब आप किसी कंपनी का स्टॉक खरीदते हैं, तो आप उस कंपनी के एक छोटे हिस्से के मालिक बन जाते हैं। 

Share (शेयर): 

स्टॉक का छोटा यूनिट है। यदि किसी कंपनी के 1,00,000 शेयर हैं और आपने 1 शेयर खरीदा है, तो आप कंपनी के 0.001% हिस्से के मालिक बन गए।  

Equity (इक्विटी): 

Equity किसी कंपनी में आपकी Ownership को दर्शाता है। यह दर्शाता है कि कंपनी की कुल संपत्ति में से कितनी संपत्ति आपकी हिस्सेदारी है।  

IPO (Initial Public Offering – आरंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव): 

जब कोई कंपनी पहली बार अपने स्टॉक्स को पब्लिक को बेचने के लिए ऑफर करती है। यह कंपनियों के लिए धन जुटाने का एक महत्वपूर्ण तरीका है।  

Broker (ब्रोकर): 

यह एक मिडलमैन होता है जो आपके और Stock Exchange के बीच की कड़ी के रूप में काम करता है। Zerodha, Upstox जैसे प्लेटफ़ॉर्म ऑनलाइन ब्रोकर के उदाहरण हैं। 

Bull Market (बुल मार्केट): 

यह वह समय होता है जब Stock Market में सकारात्मकता होती है और स्टॉक्स की कीमतें बढ़ रही होती हैं। यह निवेशकों के लिए एक अच्छा समय होता है। 

Bear Market (बेयर मार्केट): 

इसके विपरीत, Bear Market वह समय होता है जब बाजार में गिरावट होती है और स्टॉक्स की कीमतें लगातार कम हो रही होती हैं। 

Dividend (डिविडेंड): 

यह कंपनी के मुनाफे का वह हिस्सा है जो शेयरधारकों को उनके निवेश के बदले दिया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि आपने किसी कंपनी के 100 शेयर खरीदे हैं और वह प्रति शेयर ₹10 डिविडेंड दे रही है, तो आपको ₹1,000 मिलेंगे। 

Portfolio (पोर्टफोलियो): 

यह आपके द्वारा खरीदी गई विभिन्न Investments का समूह है। इसमें स्टॉक्स, म्यूचुअल फंड्स, बांड्स और अन्य संपत्तियां शामिल हो सकती हैं। 

Blue-Chip Stocks (ब्लू-चिप स्टॉक्स): 

यह बड़े और मजबूत कंपनियों के स्टॉक्स होते हैं जो समय के साथ स्थिरता और मुनाफा प्रदान करते हैं। उदाहरण के लिए, TCS, Reliance, और Infosys को Blue-Chip कंपनियों के रूप में जाना जाता है।  

इन बेसिक शब्दों का महत्व क्यों है? 

यदि आप इन शब्दों को समझते हैं, तो आप Stock Market में अधिक आत्मविश्वास के साथ निवेश कर सकते हैं। शुरुआती निवेशकों के लिए इन शब्दों को सीखना पहली सीढ़ी है। 

👉 प्रैक्टिकल टिप: 

Stock Market में निवेश शुरू करने से पहले एक Mock Trading Platform पर इन शब्दों का उपयोग करके अभ्यास करें। इससे आपको इनका असली महत्व समझ में आएगा। 

  1. Technical Terms Every Trader Must Know (टेक्निकल शब्दावली)

Trading में सफलता के लिए इन महत्वपूर्ण तकनीकी शब्दों का समझना जरूरी है। ये शब्द आपको Market Trends और Price Movements को बेहतर ढंग से समझने में मदद करेंगे। 

Candlestick Chart (कैंडलस्टिक चार्ट): 

यह चार्ट Price Movement को दिखाने का सबसे लोकप्रिय तरीका है। इसमें चार्ट पर प्रत्येक कैंडल एक निश्चित समयावधि में स्टॉक के Open, High, Low, और Close प्राइस को दर्शाता है। 

Support Level (सपोर्ट लेवल): 

वह स्तर जहां स्टॉक की कीमत गिरना बंद कर देती है और खरीदारी का दबाव बढ़ जाता है। उदाहरण: अगर किसी स्टॉक का सपोर्ट ₹500 पर है, तो कीमत इसके नीचे जाने की संभावना कम होती है। 

Resistance Level (रेजिस्टेंस लेवल): 

इसके विपरीत, वह स्तर जहां स्टॉक की कीमत बढ़ना बंद कर देती है और बिकवाली का दबाव बढ़ जाता है। यह सपोर्ट के विपरीत कार्य करता है। 

Volume (वॉल्यूम): 

किसी स्टॉक के खरीदे और बेचे जाने की कुल संख्या। वॉल्यूम अधिक होने का मतलब है कि स्टॉक में अधिक एक्टिविटी हो रही है। 

Moving Average (मूविंग एवरेज): 

यह Price Movement को आसान बनाने के लिए एक औसत मूल्य है। यह Short-Term और Long-Term Price Trends को समझने में मदद करता है। 

VWAP (Volume Weighted Average Price): 

यह इंडिकेटर Price और Volume का औसत निकालकर Intraday Trading के लिए उपयोगी होता है। यह दिखाता है कि किसी स्टॉक की औसत कीमत क्या थी, इस पर सबसे ज्यादा ट्रेडिंग हुई। 

RSI (Relative Strength Index): 

RSI एक मोमेंटम इंडिकेटर है, जो स्टॉक के Overbought (बहुत ज्यादा खरीदा गया) और Oversold (बहुत ज्यादा बेचा गया) कंडीशन को दर्शाता है। इसका रेंज 0 से 100 होता है। 

MACD (Moving Average Convergence Divergence): 

यह एक लोकप्रिय टेक्निकल इंडिकेटर है, जो दो मूविंग एवरेज के बीच के अंतर को दर्शाता है। यह स्टॉक के Price Trends और Momentum को ट्रैक करता है। 

Breakout (ब्रेकआउट): 

जब स्टॉक अपनी सपोर्ट या रेजिस्टेंस लाइन को पार करता है, तो इसे Breakout कहते हैं। यह Price Movement के नए ट्रेंड की शुरुआत का संकेत देता है। 

Fibonacci Retracement (फिबोनाच्ची रिट्रेसमेंट): 

यह टूल स्टॉक प्राइस के संभावित रिवर्सल पॉइंट्स को पहचानने में मदद करता है। यह प्राइस मूवमेंट के महत्वपूर्ण स्तरों को दर्शाता है, जैसे 23.6%, 38.2%, और 61.8%। 

इन Technical Terms का उपयोग कैसे करें? 

यदि आप Price Movement का सटीक अंदाजा लगाना चाहते हैं, तो Candlestick Chart और Moving Average का उपयोग करें। 

RSI और MACD जैसे इंडिकेटर्स के जरिए स्टॉक की Strength और Trend को समझ सकते हैं। 

Support और Resistance Levels का उपयोग Stop Loss और Target सेट करने के लिए करें। 

👉 प्रैक्टिकल टिप: 

Demat Account के साथ-साथ Charting Platforms जैसे TradingView का इस्तेमाल करें और इन सभी Terms को लाइव मार्केट में टेस्ट करें। 

इन शब्दों का अभ्यास क्यों करें? 

Technical Terms आपको Intraday और Swing Trading में मदद करते हैं। इनकी समझ से आप सही एंट्री और एग्जिट पॉइंट चुन सकते हैं, जिससे आपके ट्रेड्स अधिक सफल होंगे। 

  1. Investment और Trading से जुड़े शब्द (Investment और Trading के लिए आवश्यक शब्दावली)

Investment और Trading के बीच सही अंतर को समझने और दोनों में सफलता प्राप्त करने के लिए इन शब्दों का ज्ञान जरूरी है। ये शब्द आपको Stock Market में रणनीति बनाने और बेहतर निर्णय लेने में मदद करेंगे। 

Trading (ट्रेडिंग): 

इसमें शेयरों को कम समय के लिए खरीदा और बेचा जाता है। Intraday Trading और Swing Trading इसके उदाहरण हैं। इसका मुख्य उद्देश्य कम समय में प्रॉफिट कमाना होता है। 

Investment (इन्वेस्टमेंट): 

Investment लंबे समय तक शेयरों को होल्ड करना है, जैसे 5 या 10 साल तक। इसका उद्देश्य Wealth Creation होता है। Warren Buffett जैसे इन्वेस्टर्स लंबे समय तक इन्वेस्टमेंट करने के लिए प्रसिद्ध हैं। 

P/E Ratio (प्राइस टू अर्निंग रेशियो): 

यह कंपनी की Valuation को समझने का एक तरीका है। यह बताता है कि निवेशकों को कंपनी की प्रति शेयर कमाई (Earnings Per Share) के लिए कितनी कीमत चुकानी पड़ रही है। उदाहरण: यदि P/E Ratio 20 है, तो इसका मतलब है कि निवेशक कंपनी की प्रति ₹1 कमाई के लिए ₹20 चुका रहे हैं। 

Market Capitalization (मार्केट कैप): 

यह किसी कंपनी के कुल मूल्य को दर्शाता है। 

फॉर्मूला: 

Market Cap = Current Share Price × Total Outstanding Shares  

उदाहरण: अगर किसी कंपनी का शेयर प्राइस ₹100 है और उसके 1,00,000 शेयर हैं, तो मार्केट कैप ₹1 करोड़ होगी। 

Stop Loss (स्टॉप लॉस): 

यह एक प्राइस लेवल है जिसे आप नुकसान को सीमित करने के लिए सेट करते हैं। यदि स्टॉक का प्राइस इस लेवल तक पहुंच जाता है, तो आपका ट्रेड ऑटोमैटिकली क्लोज हो जाता है। 

Limit Order (लिमिट ऑर्डर): 

यह एक प्रकार का आदेश है जहां आप स्टॉक को एक निश्चित कीमत पर खरीदने या बेचने का निर्देश देते हैं। उदाहरण: यदि किसी स्टॉक की मौजूदा कीमत ₹500 है और आप इसे ₹480 पर खरीदना चाहते हैं, तो आप एक Limit Order सेट कर सकते हैं। 

Intraday Trading (इंट्राडे ट्रेडिंग): 

इसमें शेयरों को एक ही दिन में खरीदा और बेचा जाता है। उदाहरण: यदि आपने सुबह ₹100 पर स्टॉक खरीदा और दिन के अंत तक ₹110 पर बेचा, तो यह Intraday Trading होगी। 

Swing Trading (स्विंग ट्रेडिंग): 

इसमें स्टॉक्स को कुछ दिनों या हफ्तों तक होल्ड किया जाता है। यह Price Swings का लाभ उठाने के लिए किया जाता है। 

Options (ऑप्शंस): 

यह Derivatives का एक प्रकार है। इसमें आपको किसी स्टॉक को भविष्य में एक तय कीमत पर खरीदने या बेचने का अधिकार मिलता है, लेकिन यह अनिवार्य नहीं है। 

Call Option: स्टॉक खरीदने का अधिकार। 

Put Option: स्टॉक बेचने का अधिकार। 

Futures (फ्यूचर्स): 

यह एक एग्रीमेंट है जिसमें दोनों पार्टियां भविष्य में एक तय कीमत पर स्टॉक खरीदने या बेचने का वादा करती हैं। यह Options की तुलना में अधिक Binding होता है।  

इन शब्दों का महत्व क्यों है? 

Investment: Wealth Creation के लिए उपयोगी है। 

Trading: Short-Term Gains के लिए। 

P/E Ratio और Market Cap: कंपनी के स्टॉक का मूल्यांकन करने में मदद करते हैं। 

Stop Loss और Limit Order: Risk Management में सहायता करते हैं। 

👉 प्रैक्टिकल टिप: 

इन शब्दों की बेहतर समझ के लिए, एक Virtual Trading Platform (जैसे Moneycontrol या TradingView) पर अपनी रणनीतियों का परीक्षण करें। 

Investment और Trading में सही संतुलन कैसे बनाएं? 

शुरुआती निवेशकों को Trading और Investment दोनों का मिश्रण अपनाना चाहिए। लंबे समय के लिए Strong Companies में निवेश करें और Short-Term Gains के लिए Technical Analysis पर आधारित ट्रेडिंग करें। 

  1. Risk Management और Market Indicators (जोखिम प्रबंधन और बाजार संकेतक)

Stock Market में निवेश और ट्रेडिंग करते समय जोखिम प्रबंधन का महत्व बेहद अधिक है। यह आपके निवेश को सुरक्षित रखने और नुकसान से बचने में मदद करता है। इसके साथ ही, कुछ महत्वपूर्ण Market Indicators होते हैं जो ट्रेडर्स को सही दिशा में निर्णय लेने में मदद करते हैं। इन शब्दों का ज्ञान होना आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। 

Volatility (वोलैटिलिटी): 

वोलैटिलिटी वह अवधारणा है जो मार्केट के प्राइस मूवमेंट की तेजी को दर्शाती है। इसका मतलब है कि स्टॉक की कीमतों में उतार-चढ़ाव कितना तेज है। अधिक वोलैटिलिटी वाले स्टॉक्स का मूल्य तेजी से बदल सकता है, जिससे निवेशकों को ज्यादा लाभ या नुकसान हो सकता है। 

Beta (बीटा): 

बीटा स्टॉक के जोखिम को दर्शाता है और यह बताता है कि वह स्टॉक बाजार के मुकाबले कितना संवेदनशील है। अगर एक स्टॉक का बीटा 1 से ज्यादा है, तो इसका मतलब है कि वह स्टॉक बाजार की तुलना में अधिक उतार-चढ़ाव दिखाता है। बीटा 1 से कम होने पर वह स्टॉक कम संवेदनशील होता है। 

Alpha (अल्फा): 

अल्फा वह अतिरिक्त रिटर्न होता है जो एक निवेशक अपने निवेश पर प्राप्त करता है, बाजार के सामान्य प्रदर्शन से ऊपर। यह एक तरह का मीट्रिक है जो निवेश की सफलता को मापता है। एक सकारात्मक अल्फा यह दर्शाता है कि निवेश ने बेहतर प्रदर्शन किया है, जबकि नकारात्मक अल्फा इसका उल्टा होता है। 

Hedge (हेज): 

हेजिंग का मतलब होता है जोखिम को कम करने के लिए अन्य निवेशों में पैसा लगाना। यह निवेशक को किसी संभावित नुकसान से बचाने का तरीका है। उदाहरण के लिए, अगर आप स्टॉक्स में निवेश करते हैं तो आप अन्य सेफ निवेश जैसे गोल्ड या बॉन्ड में भी निवेश करके अपने जोखिम को कम कर सकते हैं। 

Index (इंडेक्स): 

बाजार के प्रदर्शन को मापने के लिए इंडेक्स का उपयोग किया जाता है। यह एक समूह होता है कुछ स्टॉक्स का, जो बाजार के एक क्षेत्र को दर्शाते हैं। जैसे Nifty और Sensex भारत के प्रमुख शेयर बाजार इंडेक्स हैं, जो पूरे बाजार के प्रदर्शन को मापने का काम करते हैं। 

Liquidity (लिक्विडिटी): 

लिक्विडिटी से मतलब है, एक स्टॉक को आसानी से खरीदने और बेचने की क्षमता। एक स्टॉक जितना अधिक लिक्विड होगा, उसे उतना ही जल्दी और कम कीमत पर खरीदा या बेचा जा सकता है। यह एक महत्वपूर्ण पहलू है, क्योंकि अगर स्टॉक कम लिक्विड है, तो उसे खरीदने या बेचने में परेशानी हो सकती है। 

Leverage (लीवरेज): 

लीवरेज वह प्रक्रिया है, जिसमें आप उधारी के पैसे का इस्तेमाल करके अपने निवेश की क्षमता बढ़ाते हैं। इससे आप कम पूंजी से ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं, लेकिन इसका एक बड़ा जोखिम भी है। अगर बाजार आपके खिलाफ जाता है तो आप ज्यादा नुकसान भी उठा सकते हैं। 

Margin (मार्जिन): 

मार्जिन वह राशि होती है जो आप उधार लेकर ट्रेडिंग करने के लिए जमा करते हैं। यह एक तरह का सुरक्षा जमा होता है जो आपके उधारी के लेन-देन के लिए जरूरी होता है। इससे आप ज्यादा शेयर खरीद सकते हैं, लेकिन यदि बाजार आपके खिलाफ जाता है तो आपको इसे चुकाना पड़ता है। 

Circuit Breaker (सर्किट ब्रेकर): 

सर्किट ब्रेकर एक नियम है जो स्टॉक एक्सचेंज में अचानक आई गिरावट या तेजी को रोकने के लिए लागू किया जाता है। जब बाजार में बहुत बड़ी गिरावट या बढ़त होती है, तो ट्रेडिंग कुछ समय के लिए रोक दी जाती है, ताकि निवेशकों को शांत होने का समय मिल सके। 

Capital Gain (कैपिटल गेन): 

कैपिटल गेन वह लाभ है जो आपको अपने निवेश से होता है। अगर आपने किसी स्टॉक को कम कीमत पर खरीदा और उच्च कीमत पर बेचा, तो आपको जो अतिरिक्त राशि मिलती है, उसे कैपिटल गेन कहा जाता है। यह लाभ एक तरह से आपकी पूंजी में वृद्धि करता है। 

  1. Advanced Concepts for Growing Traders (बढ़ते हुए ट्रेडर्स के लिए एडवांस्ड कंसेप्ट्स)

Stock Market में सफलता पाने के लिए सिर्फ बुनियादी शब्दावली का ज्ञान होना काफी नहीं है। एक सफल ट्रेडर को एडवांस्ड कंसेप्ट्स को समझने और उनका सही तरीके से उपयोग करने की आवश्यकता होती है। इस अनुभाग में हम कुछ एडवांस्ड ट्रेडिंग कंसेप्ट्स पर चर्चा करेंगे, जो आपके ट्रेडिंग करियर को अगले स्तर तक ले जाने में मदद करेंगे। 

Short Selling (शॉर्ट सेलिंग): 

Short Selling एक रणनीति है, जिसमें आप पहले किसी स्टॉक को बेचते हैं और बाद में उसे कम कीमत पर खरीदते हैं। इसका उद्देश्य बाजार में गिरावट का फायदा उठाना होता है। इस प्रक्रिया में, आपको स्टॉक को उधार लेना पड़ता है और फिर उसे बेचकर जब उसकी कीमत गिरती है, तब उसे वापस खरीदते हैं। यह एक हाई रिस्क ट्रेडिंग तकनीक है, इसलिए इसमें सावधानी की आवश्यकता होती है। 

Penny Stocks (पेनी स्टॉक्स): 

Penny Stocks वे स्टॉक्स होते हैं जिनकी कीमत बहुत कम होती है (आमतौर पर ₹10 से कम)। ये स्टॉक्स सस्ते होते हैं और आमतौर पर छोटे और नए व्यवसायों से जुड़े होते हैं। हालांकि इन स्टॉक्स में उच्च जोखिम होता है, लेकिन कुछ ट्रेडर्स इन्हें सस्ते मूल्य पर खरीदकर बड़ी बढ़ोतरी का इंतजार करते हैं। ध्यान रखें कि इनमें निवेश करना जोखिम से भरा हो सकता है। 

Blue Ocean Strategy (ब्लू ओशन स्ट्रैटेजी): 

Blue Ocean Strategy का मतलब है, ऐसे क्षेत्रों या बाजारों में निवेश करना जहाँ प्रतिस्पर्धा कम हो और विकास की अधिक संभावना हो। यह रणनीति स्थापित और प्रतिस्पर्धात्मक बाजारों (Red Oceans) से बाहर निकलकर नए और अनछुए बाजारों में निवेश करने पर आधारित है। इस प्रकार के बाजारों में व्यापार बढ़ाने के अधिक मौके होते हैं। 

Stock Split (स्टॉक स्प्लिट): 

Stock Split एक प्रक्रिया है, जिसमें कंपनी अपने स्टॉक्स को छोटे हिस्सों में विभाजित कर देती है, ताकि प्रत्येक स्टॉक की कीमत कम हो जाती है। उदाहरण के लिए, 1:2 के अनुपात में एक स्टॉक को दो हिस्सों में बांटा जा सकता है। इस प्रक्रिया से स्टॉक की लिक्विडिटी बढ़ सकती है और अधिक निवेशक उन स्टॉक्स में निवेश कर सकते हैं। 

Buyback (बायबैक): 

Buyback एक प्रक्रिया है, जिसमें कंपनी अपने खुद के स्टॉक्स को बाजार से खरीदती है। कंपनियां अपने स्टॉक्स को बायबैक करने के लिए आमतौर पर तब कोशिश करती हैं, जब उन्हें लगता है कि उनका स्टॉक मूल्य कम है और बाजार में इसकी सही कीमत नहीं मिल रही है। यह एक संकेत हो सकता है कि कंपनी अपनी वैल्यू को बढ़ाने की कोशिश कर रही है। 

Yield (यील्ड): 

Yield एक निवेश से होने वाली वार्षिक आय को दर्शाता है। इसे आमतौर पर प्रतिशत के रूप में मापा जाता है और यह दर्शाता है कि एक निवेशक ने अपने निवेश से कितना लाभ प्राप्त किया है। उदाहरण के लिए, अगर आपने ₹100 का निवेश किया और एक साल में ₹5 का लाभ प्राप्त हुआ, तो आपकी यील्ड 5% होगी। 

EPS (Earnings Per Share) (प्रति शेयर कमाई): 

Earnings Per Share (EPS) एक वित्तीय मीट्रिक है, जो कंपनी की प्रत्येक शेयर पर होने वाली कमाई को दर्शाता है। इसे कंपनी की शुद्ध आय को उसके कुल शेयरों से विभाजित करके निकाला जाता है। उच्च EPS का मतलब है कि कंपनी प्रति शेयर अधिक मुनाफा कमा रही है, जो निवेशकों के लिए एक सकारात्मक संकेत हो सकता है। 

Dividend Yield (डिविडेंड यील्ड): 

Dividend Yield एक मीट्रिक है जो एक कंपनी के डिविडेंड का प्रतिशत दर्शाता है, जो उसके स्टॉक मूल्य के मुकाबले मिलता है। इसे कंपनी के वार्षिक डिविडेंड को उसके स्टॉक के वर्तमान मूल्य से विभाजित करके निकाला जाता है। उच्च Dividend Yield वाला स्टॉक नियमित आय देने वाला निवेश हो सकता है। 

ROE (Return on Equity) (इक्विटी पर रिटर्न): 

Return on Equity (ROE) एक वित्तीय रेटिंग है, जो यह दर्शाता है कि कंपनी ने अपने शेयरधारकों की पूंजी का कितना अच्छा उपयोग किया है। इसे शुद्ध आय को इक्विटी के कुल निवेश से विभाजित करके निकाला जाता है। उच्च ROE का मतलब है कि कंपनी अपने निवेशकों की पूंजी का अच्छे से उपयोग कर रही है। 

ROCE (Return on Capital Employed) (कुल पूंजी पर रिटर्न): 

Return on Capital Employed (ROCE) एक वित्तीय मीट्रिक है जो यह मापता है कि कंपनी ने अपनी कुल पूंजी (इक्विटी और उधारी) का कितने प्रभावी तरीके से उपयोग किया है। यह कंपनी के मुनाफे को उसके कुल निवेश से विभाजित करके निकाला जाता है। उच्च ROCE का मतलब है कि कंपनी अपने संसाधनों का प्रभावी उपयोग कर रही है। 

  1. Miscellaneous Terms Every Trader Should Know (कुछ अन्य उपयोगी शब्द जो आपकी ट्रेडिंग जर्नी में काम आएंगे)

ट्रेडिंग की दुनिया में कई शब्द और शर्तें हैं जो जानना जरूरी हैं, खासकर अगर आप एक सक्रिय ट्रेडर बनना चाहते हैं। ये शब्द आपको न केवल ट्रेडिंग के दौरान सही फैसले लेने में मदद करेंगे, बल्कि बाजार के विभिन्न पहलुओं को भी समझने में सहायक होंगे। इस सेक्शन में हम कुछ अन्य महत्वपूर्ण शब्दों पर चर्चा करेंगे जो आपकी ट्रेडिंग जर्नी को और आसान और प्रभावी बना सकते हैं। 

Day Trading (डे ट्रेडिंग): 

Day Trading का मतलब है एक ही दिन में स्टॉक्स खरीदना और बेचना। इसमें ट्रेडर पूरे दिन के दौरान स्टॉक्स के मूल्य में छोटे उतार-चढ़ाव का फायदा उठाता है। यह एक तेज़ और सक्रिय रणनीति होती है, जिसमें एक दिन के भीतर सभी ट्रेड्स बंद कर दिए जाते हैं, ताकि रातभर के लिए कोई जोखिम न रहे। 

Scalping (स्कैल्पिंग): 

Scalping एक हाई-फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग रणनीति है जिसमें ट्रेडर छोटे मुनाफे के लिए बहुत तेजी से ट्रेड करता है। इसका उद्देश्य छोटे प्रॉफिट को बार-बार हासिल करना होता है। स्कैल्पिंग में, ट्रेडर्स अक्सर छोटे टाइम फ्रेम्स का इस्तेमाल करते हैं और बड़ी मात्रा में ट्रेड करते हैं, ताकि छोटी-छोटी कीमतों में उतार-चढ़ाव से मुनाफा कमा सकें। 

IPO Grey Market (आईपीओ ग्रे मार्केट): 

IPO Grey Market वह अनऑफिशियल बाजार होता है जहाँ निवेशक कंपनी के आईपीओ (Initial Public Offering) के लिए शेयरों की खरीद-बिक्री करते हैं, लेकिन यह ट्रेडिंग रजिस्टर्ड नहीं होती। आईपीओ की लिस्टिंग से पहले ही इस बाजार में शेयरों का मूल्य तय हो जाता है, जो लिस्टिंग प्राइस से ऊपर या नीचे हो सकता है। इसका मुख्य उद्देश्य आईपीओ के बारे में संभावित लाभ और जोखिम का अनुमान लगाना होता है। 

Promoter Holding (प्रमोटर होल्डिंग): 

Promoter Holding वह प्रतिशत होता है जो एक कंपनी के प्रमोटर्स (जिन्होंने कंपनी की स्थापना की या उसकी मार्गदर्शन की) के पास कंपनी के शेयर होते हैं। यह निवेशकों को कंपनी में प्रमोटर्स का विश्वास और प्रतिबद्धता दिखाता है। उच्च प्रमोटर होल्डिंग का मतलब है कि प्रमोटर्स का कंपनी के भविष्य में विश्वास है। 

Bonus Issue (बोनस इश्यू): 

Bonus Issue एक प्रक्रिया होती है, जिसमें कंपनी अपने शेयरधारकों को बिना किसी अतिरिक्त लागत के अतिरिक्त शेयर देती है। इसका उद्देश्य कंपनी के पास जमा लाभ को शेयरधारकों में वितरित करना होता है। उदाहरण के लिए, अगर कंपनी ने 1:1 बोनस इश्यू किया है, तो इसका मतलब है कि हर 1 शेयर के बदले निवेशक को 1 अतिरिक्त शेयर मिलेगा। 

Rights Issue (राइट्स इश्यू): 

Rights Issue में कंपनी अपने वर्तमान शेयरधारकों को नए शेयर खरीदने का अधिकार देती है। यह एक तरीके से कंपनी द्वारा अपने पूंजी में वृद्धि करने का तरीका होता है। राइट्स इश्यू में शेयरधारकों को अपनी हिस्सेदारी के अनुपात में नए शेयर खरीदने का अधिकार मिलता है, लेकिन इसे खरीदना अनिवार्य नहीं होता। 

Corporate Action (कॉरपोरेट एक्शन): 

Corporate Action वह कदम होते हैं जो एक कंपनी द्वारा अपने शेयरधारकों के लिए उठाए जाते हैं। इसमें डिविडेंड, बोनस, स्टॉक स्प्लिट, राइट्स इश्यू जैसी प्रक्रियाएं शामिल हो सकती हैं। ये एक्शन कंपनी की शेयर वैल्यू और इसके बाजार मूल्य को प्रभावित कर सकते हैं। 

Demat Account (डीमैट अकाउंट): 

Demat Account एक इलेक्ट्रॉनिक अकाउंट होता है, जिसमें आपके सारे स्टॉक्स और सिक्योरिटीज डिजिटल रूप में रखे जाते हैं। पहले स्टॉक्स को शारीरिक रूप में प्रमाणित किया जाता था, लेकिन अब Demat Account के जरिए आप इन्हें ऑनलाइन सुरक्षित रख सकते हैं और ट्रेड कर सकते हैं। 

Trading Account (ट्रेडिंग अकाउंट): 

Trading Account वह अकाउंट होता है जिसके जरिए आप स्टॉक्स को खरीदते और बेचते हैं। इसे बैंक या ब्रोकरेज फर्म के साथ खोलना होता है। ट्रेडिंग अकाउंट में आपके द्वारा किए गए सभी ट्रेड्स की जानकारी होती है, और यह आपके Demat Account से जुड़ा होता है, जहां आपके शेयर सुरक्षित रहते हैं। 

Market Order (मार्केट ऑर्डर): 

Market Order वह ऑर्डर होता है, जिसे तुरंत बाजार की मौजूदा प्रचलित कीमत पर पूरा किया जाता है। इसका मतलब है कि जब आप Market Order देते हैं, तो आपके द्वारा निर्धारित कीमत से भले ही थोड़ा ऊपर या नीचे ट्रांजैक्शन होता है, लेकिन आपका ऑर्डर तुरंत फुलफिल हो जाता है। यह एक सामान्य तरीका है जिससे ट्रेडर तुरंत कोई स्टॉक खरीद सकते हैं या बेच सकते हैं। 

  1. Regulations and Compliance (नियम और अनुपालन)

Stock Market में निवेश करने से पहले, यह जरूरी है कि आप उस बाजार के नियमों और कानूनी प्रक्रियाओं को समझें। इन नियमों का पालन करना न केवल कानूनी रूप से सही है, बल्कि यह आपके निवेश को सुरक्षित भी बनाता है। इस सेक्शन में हम कुछ प्रमुख नियामक शब्दों और प्रक्रियाओं के बारे में चर्चा करेंगे, जिन्हें हर निवेशक और ट्रेडर को जानना चाहिए। 

SEBI (सेबी – Securities and Exchange Board of India): 

SEBI (Securities and Exchange Board of India) भारत में शेयर बाजार को नियंत्रित और विनियमित करने वाली संस्था है। इसका उद्देश्य निवेशकों को सुरक्षा प्रदान करना, बाजार की पारदर्शिता सुनिश्चित करना और किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी से बचाव करना है। SEBI के द्वारा जारी किए गए नियमों और विनियमों का पालन करना निवेशकों के लिए जरूरी होता है। 

Insider Trading (इनसाइडर ट्रेडिंग): 

Insider Trading तब होता है जब कोई व्यक्ति या समूह गोपनीय या नॉन-पब्लिक जानकारी का उपयोग करके शेयरों की खरीद या बिक्री करते हैं। यह एक अवैध प्रक्रिया है, क्योंकि इसमें किसी कंपनी के अंदरूनी कर्मचारियों या अन्य लोगों का गैर-नैतिक रूप से फायदा उठाना शामिल होता है। SEBI Insider Trading के खिलाफ कड़े नियम लागू करता है और उल्लंघन करने वालों को सजा भी देता है। 

KYC (Know Your Customer): 

KYC (Know Your Customer) एक प्रक्रिया है, जिसमें वित्तीय संस्थान यह सुनिश्चित करते हैं कि वे जिस व्यक्ति या संगठन के साथ लेन-देन कर रहे हैं, वह वैध है। इस प्रक्रिया के तहत, निवेशकों को अपनी पहचान और पते का प्रमाण देना होता है। यह प्रक्रिया मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने और निवेशकों के हितों की रक्षा करने के लिए जरूरी है। 

AML (Anti-Money Laundering): 

AML (Anti-Money Laundering) मनी लॉन्ड्रिंग (धन शोधन) को रोकने के लिए बनाए गए नियमों और उपायों का समूह है। इसका उद्देश्य अवैध रूप से अर्जित धन को वैध बनाने से रोकना है। AML नियमों का पालन करने से बाजार में पारदर्शिता बनी रहती है और निवेशक सुरक्षित रहते हैं। 

Regulator (रेगुलेटर): 

Regulator वह संस्था होती है जो बाजार के संचालन की निगरानी करती है और यह सुनिश्चित करती है कि सभी पक्षों द्वारा नियमों का पालन किया जा रहा है। SEBI को भारत का प्रमुख Regulator माना जाता है, जो निवेशकों की सुरक्षा के लिए काम करता है। इसके अलावा, अन्य वित्तीय संस्थाओं और बाजारों के लिए भी अलग-अलग रेगुलेटर हो सकते हैं। 

Listing Agreement (लिस्टिंग एग्रीमेंट): 

Listing Agreement वह अनुबंध होता है, जो कंपनियां अपने स्टॉक्स को स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्ट करने के लिए करती हैं। इस एग्रीमेंट के अंतर्गत, कंपनियों को कुछ विशेष नियमों और शर्तों का पालन करना पड़ता है, जैसे कि नियमित रूप से अपनी वित्तीय स्थिति को प्रकाशित करना और निवेशकों को महत्वपूर्ण जानकारी देना। 

Delisting (डीलिस्टिंग): 

Delisting तब होता है जब कोई कंपनी अपने शेयरों को स्टॉक एक्सचेंज से हटा देती है। यह या तो कंपनी के अपने निर्णय से होता है या किसी कानूनी कारण से हो सकता है। जब एक कंपनी डीलिस्ट होती है, तो उसके शेयर अब एक्सचेंज पर ट्रेड नहीं होते, और निवेशकों को अपनी स्थिति पर विचार करने का मौका मिलता है। 

Compliance (अनुपालन): 

Compliance का मतलब है नियमों और कानूनों का पालन करना। स्टॉक मार्केट में निवेश करते समय यह जरूरी है कि आप संबंधित रेगुलेटर द्वारा निर्धारित नियमों का पालन करें, ताकि आपका निवेश सुरक्षित रहे और आप किसी भी प्रकार के कानूनी समस्याओं से बच सकें। 

Auditor’s Report (ऑडिटर की रिपोर्ट): 

Auditor’s Report एक स्वतंत्र ऑडिटर द्वारा कंपनी की वित्तीय स्थिति पर दी जाने वाली राय होती है। यह रिपोर्ट कंपनी की बैलेंस शीट, लाभ-हानि खाता, और अन्य वित्तीय दस्तावेजों का विश्लेषण करती है। यह निवेशकों को कंपनी की वित्तीय स्थिति और इसके प्रबंधन पर विश्वास बनाने में मदद करती है। 

Corporate Governance (कॉर्पोरेट गवर्नेंस): 

Corporate Governance वह प्रणाली है, जिसके तहत कंपनी का संचालन और प्रबंधन होता है। इसमें बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स, शेयरधारक, और अन्य हितधारकों के अधिकारों और जिम्मेदारियों का निर्धारण किया जाता है। अच्छी कॉर्पोरेट गवर्नेंस से कंपनी के संचालन में पारदर्शिता बढ़ती है और निवेशकों का विश्वास मजबूत होता है। 

  1. Global Market Terms (वैश्विक बाजार से जुड़े शब्द)

अंतरराष्ट्रीय बाजार को समझने और इसमें निवेश करने के लिए कुछ प्रमुख शब्दों का ज्ञान होना बेहद जरूरी है। ये शब्द आपको वैश्विक वित्तीय प्रणाली और इसके कार्यप्रणाली को बेहतर तरीके से समझने में मदद करेंगे। इस सेक्शन में हम कुछ महत्वपूर्ण वैश्विक बाजार शब्दों के बारे में जानेंगे, जो न केवल आपके निवेश को सही दिशा देंगे, बल्कि आपको अधिक सूचित निर्णय लेने में भी मदद करेंगे। 

NYSE (New York Stock Exchange): 

NYSE (New York Stock Exchange) दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे प्रसिद्ध स्टॉक एक्सचेंज है, जो न्यूयॉर्क में स्थित है। यहाँ पर कई प्रमुख अमेरिकी कंपनियाँ सूचीबद्ध होती हैं और यह दुनिया का सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज है, जिसमें उच्चतम ट्रेडिंग वॉल्यूम होता है। इसे ‘Big Board’ भी कहा जाता है और यह वैश्विक निवेशकों के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार है। 

NASDAQ: 

NASDAQ (National Association of Securities Dealers Automated Quotations) एक प्रमुख अमेरिकी स्टॉक एक्सचेंज है, जो विशेष रूप से तकनीकी और इंटरनेट कंपनियों के लिए जाना जाता है। यह एक इलेक्ट्रॉनिक एक्सचेंज है, जहां पर कंपनियों के स्टॉक्स बिना किसी फिजिकल ट्रेडिंग फ्लोर के कारोबार होते हैं। कुछ बड़ी तकनीकी कंपनियां जैसे Apple, Microsoft, और Amazon NASDAQ पर सूचीबद्ध हैं। 

Dow Jones (डॉव जोन्स): 

Dow Jones एक प्रमुख अमेरिकी मार्केट इंडेक्स है, जो अमेरिकी स्टॉक मार्केट का प्रदर्शन मापने के लिए उपयोग किया जाता है। यह 30 प्रमुख अमेरिकी कंपनियों के स्टॉक्स का औसत निकालता है और इसका उपयोग वैश्विक आर्थिक स्थिति को समझने के लिए किया जाता है। यह इंडेक्स निवेशकों को शेयर बाजार की दिशा का संकेत देने में मदद करता है। 

FTSE (Financial Times Stock Exchange): 

FTSE (Financial Times Stock Exchange) यूके का प्रमुख स्टॉक इंडेक्स है, जो लंदन स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध 100 प्रमुख कंपनियों का प्रदर्शन मापता है। इसे FTSE 100 इंडेक्स के नाम से भी जाना जाता है। यह इंडेक्स ब्रिटिश शेयर बाजार के स्वास्थ्य और प्रदर्शन का महत्वपूर्ण सूचक होता है। 

Forex (Foreign Exchange): 

Forex (Foreign Exchange) वह वैश्विक बाजार है जहाँ विभिन्न देशों की मुद्राओं का व्यापार होता है। इसे FX बाजार भी कहा जाता है। यह सबसे बड़ा और सबसे तरल बाजार है, जहाँ पर 24 घंटे वाणिज्यिक और निवेशक ट्रेड करते हैं। Forex ट्रेडिंग में मुद्रा जोड़ियों जैसे USD/EUR, GBP/JPY आदि का व्यापार किया जाता है। 

ADR (American Depository Receipt): 

ADR (American Depository Receipt) एक वित्तीय उपकरण है जो अमेरिकी निवेशकों को विदेशी कंपनियों के शेयरों में निवेश करने का अवसर प्रदान करता है। यह अमेरिकी डॉलर में कारोबार करता है और विदेशी कंपनी के स्टॉक्स का प्रतिनिधित्व करता है। ADRs से निवेशक वैश्विक कंपनियों के स्टॉक्स में निवेश कर सकते हैं, बिना विदेशी शेयर बाजार में सीधे ट्रेड किए। 

GDR (Global Depository Receipt): 

GDR (Global Depository Receipt) एक समान उपकरण है, लेकिन यह विशेष रूप से वैश्विक स्तर पर निवेश के लिए जारी किया जाता है। GDRs का उपयोग निवेशकों को विभिन्न देशों के शेयरों में निवेश करने का मौका देता है। यह अमेरिकी और यूरोपीय बाजारों में ट्रेड कर सकता है और वैश्विक निवेशकों के लिए एक सरल तरीका है। 

LIBOR (London Interbank Offered Rate): 

LIBOR (London Interbank Offered Rate) एक बेंचमार्क दर है, जो बैंकों द्वारा आपस में लोन देने के लिए निर्धारित की जाती है। यह दर वैश्विक वित्तीय प्रणाली में महत्वपूर्ण है क्योंकि कई वित्तीय उत्पाद जैसे बांड, ऋण, और इंटरेस्ट रेट स्वैप्स LIBOR के आधार पर निर्धारित होते हैं। इसे अक्सर वैश्विक ब्याज दरों का संकेतक माना जाता है। 

Commodity Market (कमोडिटी मार्केट): 

Commodity Market वह बाजार है, जहाँ पर प्राकृतिक संसाधनों और वस्तुओं जैसे सोना, चांदी, तेल, गेहूं, आदि का व्यापार होता है। इसमें दो प्रकार के बाजार होते हैं – वायदा बाजार (Futures Market) और स्पॉट बाजार (Spot Market)। कमोडिटी बाजार में निवेशक इन वस्तुओं की कीमतों में उतार-चढ़ाव का लाभ उठा सकते हैं। 

Cryptocurrency (क्रिप्टोकरेंसी): 

Cryptocurrency एक डिजिटल मुद्रा है, जो सुरक्षा के लिए क्रिप्टोग्राफी का उपयोग करती है। इसमें कोई केंद्रीय बैंक या सरकार नहीं होती, और इसे विकेंद्रीकृत नेटवर्क पर संचालित किया जाता है। बिटकॉइन (Bitcoin), एथेरियम (Ethereum), और अन्य क्रिप्टोकरेंसीज निवेशकों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं। क्रिप्टोकरेंसी का बाजार बहुत ही उच्च जोखिम वाला है, लेकिन इसमें तेज मुनाफा कमाने की भी संभावना है। 

Stock Market के 110 Important Terms

  1. Modern Trading Tools and Platforms (आधुनिक ट्रेडिंग टूल्स और प्लेटफॉर्म)

आजकल के डिजिटल युग में ट्रेडिंग पहले से कहीं अधिक सुलभ हो गई है, लेकिन इसका सही उपयोग करने के लिए आपको कुछ महत्वपूर्ण टूल्स और प्लेटफॉर्म्स की जानकारी होना चाहिए। इन टूल्स का उपयोग करके आप अपनी ट्रेडिंग रणनीतियों को और अधिक प्रभावी बना सकते हैं। आइए जानते हैं कुछ प्रमुख आधुनिक ट्रेडिंग टूल्स और प्लेटफॉर्म्स के बारे में। 

Algo Trading (एल्गो ट्रेडिंग): 

Algo Trading, जिसे Algorithmic Trading भी कहा जाता है, एक ऑटोमेटेड ट्रेडिंग तकनीक है जिसमें प्रोग्राम और एल्गोरिदम का उपयोग किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य बाजार में तेजी से निर्णय लेना और ट्रेड्स को आटोमेटिकली एग्जीक्यूट करना है। यह तकनीक बड़े डेटा और मॉडल्स का उपयोग करती है, जिससे ट्रेडर बाजार के उतार-चढ़ाव को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं और तेजी से निर्णय ले सकते हैं। 

HFT (High-Frequency Trading): 

HFT (High-Frequency Trading) एक उच्च गति वाली ट्रेडिंग तकनीक है, जिसमें बहुत कम समय में बहुत सारे ट्रेड किए जाते हैं। यह तकनीक ट्रेडिंग बॉट्स और एल्गोरिदम का इस्तेमाल करती है, जो बाजार की छोटी-छोटी मूवमेंट्स का फायदा उठाती है। HFT में इंवेस्टर्स छोटे-मात्रा के लाभ के लिए बड़ी संख्या में ट्रेड्स करते हैं। यह अधिकतर बड़े संस्थानों द्वारा इस्तेमाल की जाती है और अत्यधिक तकनीकी माहौल में काम करती है। 

Trading Bots (ट्रेडिंग बॉट्स): 

Trading Bots एक प्रकार का सॉफ़्टवेयर है, जो ऑटोमेटिक ट्रेडिंग के लिए प्रोग्राम किया गया होता है। ये बॉट्स ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म्स पर रियल-टाइम डेटा का विश्लेषण करते हैं और पहले से निर्धारित रणनीतियों के अनुसार ट्रेड्स को ऑटोमेटिकली निष्पादित करते हैं। ये बॉट्स 24/7 काम करते हैं और मानव हस्तक्षेप की आवश्यकता नहीं होती। इसके माध्यम से ट्रेडर्स अपने ट्रेड्स को ऑटोमेट कर सकते हैं और उन्हें बिना किसी निरंतर निगरानी के लाभ उठा सकते हैं। 

Demat और Trading App (डीमैट और ट्रेडिंग ऐप): 

Zerodha, Upstox, Groww जैसी प्लेटफॉर्म्स द्वारा प्रदान की जाने वाली Demat और Trading Apps ट्रेडर्स के लिए बेहद महत्वपूर्ण होती हैं। इन प्लेटफॉर्म्स पर आप आसानी से स्टॉक्स, म्यूचुअल फंड्स, और अन्य वित्तीय उपकरणों में निवेश कर सकते हैं। इसके अलावा, ये प्लेटफॉर्म्स व्यापार के डेटा, बाजार के रुझान, और चार्ट्स भी प्रदान करते हैं, जो ट्रेडिंग के फैसलों को आसान बनाते हैं। 

Backtesting (बैकटेस्टिंग): 

Backtesting एक प्रक्रिया है जिसमें ट्रेडिंग रणनीतियों का ऐतिहासिक डेटा पर परीक्षण किया जाता है। इस प्रक्रिया का उद्देश्य यह जानना होता है कि एक विशेष ट्रेडिंग रणनीति पिछले समय में कैसे काम करती थी। यह ट्रेडर्स को अपनी रणनीतियों को सुधारने और बेहतर बनाने में मदद करता है, ताकि भविष्य में उन्हें ज्यादा मुनाफा मिल सके। 

Paper Trading (पेपर ट्रेडिंग): 

Paper Trading एक प्रकार की प्रैक्टिस होती है जिसमें वास्तविक पैसे का उपयोग किए बिना ट्रेडिंग की जाती है। इस प्रक्रिया में निवेशक स्टॉक या अन्य वित्तीय उपकरणों के बारे में अभ्यास करते हैं और अपनी रणनीतियों को बिना किसी जोखिम के परीक्षण करते हैं। यह ट्रेडर्स के लिए एक बेहतरीन तरीका है, खासकर नए ट्रेडर्स के लिए, जो सीखने की प्रक्रिया से गुजर रहे होते हैं। 

API Trading (एपीआई ट्रेडिंग): 

API Trading (Application Programming Interface) के माध्यम से ट्रेडर्स अपने कस्टम ट्रेडिंग स्ट्रेटेजीज़ को विभिन्न ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म्स के साथ इंटीग्रेट कर सकते हैं। यह तकनीक टेक्निकल ट्रेडर्स और प्रोग्रामिंग जानने वाले लोगों के लिए लाभकारी है, क्योंकि इसके द्वारा वे अपने ट्रेडिंग सिस्टम को पूरी तरह से कस्टमाइज कर सकते हैं। API का उपयोग करके, आप स्वचालित रूप से आदेश दे सकते हैं और रियल-टाइम डेटा का उपयोग कर सकते हैं। 

Heat Maps (हीट मैप्स): 

Heat Maps एक प्रकार का ग्राफिकल टूल है, जो शेयर बाजार के प्रदर्शन को एक विशेष रंग कोड के माध्यम से दर्शाता है। इन टूल्स का उपयोग यह देखने के लिए किया जाता है कि कौन से स्टॉक्स या सेक्टर्स में सबसे ज्यादा उथल-पुथल हो रही है, और कौन से स्टॉक्स सबसे अधिक लाभ दे रहे हैं। यह ट्रेंड को जल्दी पहचानने में मदद करता है और ट्रेडर्स को रणनीति बनाने में सहायता करता है। 

Options Chain (ऑप्शंस चेन): 

Options Chain एक सूची होती है जो ऑप्शंस के प्राइस और वॉल्यूम डेटा को प्रदर्शित करती है। इसमें कॉल और पुट ऑप्शंस के लिए विभिन्न स्ट्राइक प्राइस और एक्सपायरी डेट्स का विवरण होता है। ऑप्शंस ट्रेडर्स इसका उपयोग अपनी ट्रेडिंग रणनीतियों को बेहतर बनाने और बाजार की दिशा की भविष्यवाणी करने के लिए करते हैं। 

Real-Time Data Feed (रियल-टाइम डेटा फीड): 

Real-Time Data Feed वह डेटा होता है, जो लाइव मार्केट से प्राप्त होता है। यह डेटा ट्रेडर्स को ताजगी से बाजार की घटनाओं के बारे में सूचित करता है, जैसे स्टॉक्स के मूल्य में बदलाव, ट्रेडिंग वॉल्यूम और अन्य महत्वपूर्ण सूचकांक। यह डेटा ट्रेडर्स को त्वरित निर्णय लेने में मदद करता है और उन्हें बाजार की चाल के अनुरूप अपने निवेश को प्रबंधित करने में सक्षम बनाता है। 

  1. Psychology of Trading (ट्रेडिंग की मानसिकता)

Stock Market में सफलता सिर्फ तकनीकी और विश्लेषणात्मक कौशल पर निर्भर नहीं होती, बल्कि यह आपके मानसिक दृष्टिकोण पर भी आधारित होती है। सही मानसिकता रखने से ही एक सफल ट्रेडर बन सकते हैं। आइए जानते हैं कुछ महत्वपूर्ण मानसिक पहलुओं के बारे में, जो एक ट्रेडर को सही निर्णय लेने में मदद कर सकते हैं। 

Fear and Greed (डर और लालच): 

यह दो भावनाएं हैं जो निवेशकों के फैसलों को प्रमुख रूप से प्रभावित करती हैं। जब निवेशक डर से प्रेरित होते हैं, तो वे जल्दी में नुकसान में बिकी हुई संपत्ति बेच देते हैं। दूसरी ओर, लालच उन्हें अधिक मुनाफे की उम्मीद में बिना सोचे-समझे अधिक जोखिम लेने के लिए प्रेरित करता है। इन दोनों भावनाओं पर नियंत्रण पाना ट्रेडिंग की सफलता के लिए महत्वपूर्ण है। 

Risk Appetite (जोखिम उठाने की क्षमता): 

जोखिम उठाने की क्षमता या Risk Appetite का मतलब है कि एक व्यक्ति कितने जोखिम को सहने के लिए तैयार है। हर व्यक्ति की जोखिम लेने की क्षमता अलग होती है, और इसे समझना जरूरी है, ताकि आप अपनी निवेश रणनीतियों को उस हिसाब से तय कर सकें। यदि आप अधिक जोखिम लेने के इच्छुक हैं, तो आपको उच्च-जोखिम वाले स्टॉक्स में निवेश करने का विचार कर सकते हैं, लेकिन यदि आपका जोखिम उठाने का मनोबल कम है, तो आपको स्थिर और कम जोखिम वाले विकल्पों को चुनना चाहिए। 

Patience (धैर्य): 

धैर्य एक महत्वपूर्ण गुण है, खासकर तब जब मार्केट में उतार-चढ़ाव हो रहे हों। एक सफल ट्रेडर को सही समय का इंतजार करना आता है। अनावश्यक रूप से जल्दबाजी करना या भावनाओं के आधार पर निर्णय लेना नुकसान का कारण बन सकता है। इसलिए, सफलता की कुंजी सही समय पर निर्णय लेने और धैर्य रखने में है। 

Discipline (अनुशासन): 

ट्रेडिंग में अनुशासन बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण है। जब आप एक व्यापारिक रणनीति या योजना बनाते हैं, तो उसका पालन करना जरूरी है। अनुशासन के बिना, ट्रेडर अक्सर अपनी योजनाओं से भटक जाते हैं और बिना किसी सोच-विचार के निर्णय लेते हैं, जो नुकसान का कारण बन सकता है। 

Overtrading (ज्यादा ट्रेडिंग करना): 

Overtrading तब होता है जब एक ट्रेडर बार-बार ट्रेड करता है, बिना यह सोचे कि क्या बाजार वास्तव में ऐसा अवसर प्रदान कर रहा है। यह ट्रेडर के मनोवैज्ञानिक दबाव और उत्तेजना के कारण हो सकता है, जो जल्दबाजी में फैसले लेता है। अधिक ट्रेडिंग से न केवल व्यापारिक खर्च बढ़ते हैं, बल्कि यह भी आपके मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। 

Herd Mentality (भीड़ मानसिकता): 

Herd Mentality तब उत्पन्न होती है जब एक निवेशक दूसरों के फैसलों का अनुसरण करता है, बजाय इसके कि वह खुद अपना विश्लेषण करे। जब बाजार में तेजी होती है और सभी लोग खरीदने की कोशिश कर रहे होते हैं, तो कई निवेशक बिना सोचे-समझे उसी दिशा में जाते हैं। हालांकि, यह रणनीति हमेशा सही नहीं होती, क्योंकि आपको अपनी स्वतंत्र सोच और रणनीति पर विश्वास करना चाहिए। 

Emotional Trading (भावनात्मक ट्रेडिंग): 

भावनात्मक ट्रेडिंग वह स्थिति होती है जब एक ट्रेडर अपने भावनाओं के आधार पर फैसले लेता है, जैसे गुस्सा, डर या खुशी। यह अक्सर गलत निर्णयों का कारण बनता है। यदि आप भावनाओं के बजाय विश्लेषण और योजनाओं के आधार पर ट्रेडिंग करते हैं, तो आपके निर्णय अधिक तार्किक और संतुलित होंगे। 

FOMO (Fear of Missing Out – मौके से चूकने का डर): 

FOMO एक मानसिक स्थिति होती है जब आप किसी अच्छे मौके से चूकने का डर महसूस करते हैं और इसके कारण आप जल्दबाजी में फैसले लेते हैं। यह स्थिति अक्सर ट्रेडर्स को तब होती है जब वे देखते हैं कि बाजार में तेजी आ रही है और वे चूक जाने का डर रखते हैं। हालांकि, FOMO के चलते बिना किसी योजना के निर्णय लेना अक्सर हानिकारक साबित होता है। 

Confirmation Bias (पुष्टि पूर्वाग्रह): 

Confirmation Bias तब होता है जब एक व्यक्ति सिर्फ उन तथ्यों या डेटा को स्वीकार करता है जो उसकी पहले से बनाई गई धारणा या सोच के अनुरूप होते हैं। यह एक प्रकार का मानसिक पूर्वाग्रह है जो निर्णयों को गलत दिशा में ले जा सकता है। एक अच्छे ट्रेडर को अपनी सोच को खुला रखना चाहिए और हर पहलू पर ध्यान देना चाहिए, बजाय सिर्फ अपने विचारों की पुष्टि करने के। 

Self-Control (आत्म-नियंत्रण): 

Self-Control का मतलब है अपनी भावनाओं को नियंत्रित करना, खासकर जब नुकसान हो रहा हो। ट्रेडिंग के दौरान, आपको अपने नुकसान को स्वीकार करने और जल्दी से सही रणनीति पर लौटने की आवश्यकता होती है। अगर आप आत्म-नियंत्रण में रहते हैं, तो आप लंबे समय में सफल हो सकते हैं, जबकि बिना नियंत्रण के फैसले करने से नुकसान हो सकता है। 

  1. Additional Must-Know Terms (कुछ और जरूरी शब्द)

Stock Market में सफलता पाने के लिए कई महत्वपूर्ण शब्दों और सिद्धांतों को समझना आवश्यक होता है। यह शब्द न केवल आपके ट्रेडिंग ज्ञान को बढ़ाते हैं, बल्कि सही निर्णय लेने में भी मदद करते हैं। आइए जानते हैं कुछ और जरूरी शब्द जो ट्रेडिंग और निवेश में मददगार हो सकते हैं। 

Buy Low, Sell High (सस्ते में खरीदें, महंगे में बेचें): 

यह ट्रेडिंग का बुनियादी नियम है। इसका मतलब है कि आपको ऐसे समय में स्टॉक्स खरीदने चाहिए जब उनका मूल्य कम हो (Buy Low) और फिर उन्हें ऐसे समय में बेचना चाहिए जब उनका मूल्य अधिक हो (Sell High)। इस सिद्धांत का पालन करने से आपको अच्छे लाभ की संभावना होती है। 

Rollover (रोलओवर): 

Rollover का मतलब है अपनी पोजिशन को अगले सेशन या एक्सपायरी के बाद आगे बढ़ाना। जब एक ट्रेडर अपनी पोजिशन को बिना बंद किए अगले ट्रेडिंग सत्र में ले जाता है, तो इसे रोलओवर कहा जाता है। यह विशेष रूप से वायदा और ऑप्शन ट्रेडिंग में सामान्य होता है। 

Debt-to-Equity Ratio (ऋण-से-इक्विटी अनुपात): 

Debt-to-Equity Ratio (D/E) एक वित्तीय अनुपात है जो यह दिखाता है कि किसी कंपनी ने अपनी गतिविधियों के लिए कितना ऋण लिया है और कितनी पूंजी अपने शेयरधारकों से जुटाई है। यह अनुपात कंपनी की वित्तीय स्थिरता और जोखिम को मापने का तरीका है। उच्च D/E अनुपात संकेत करता है कि कंपनी का ऋण अधिक है, जबकि कम अनुपात से यह पता चलता है कि कंपनी की वित्तीय स्थिति मजबूत है। 

Price Action (प्राइस एक्शन): 

Price Action ट्रेडिंग एक ऐसी तकनीक है जिसमें ट्रेडर केवल स्टॉक के मूल्य में हुए बदलाव (प्राइस मूवमेंट) का विश्लेषण करते हैं। इसमें किसी कंपनी के मूलभूत या तकनीकी विश्लेषण के बजाय सिर्फ उसकी कीमत के उतार-चढ़ाव पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। यह एक सरल और प्रभावी तरीका हो सकता है जब आप मार्केट की चाल को ट्रैक करना चाहते हैं। 

Cut Losses (नुकसान कम करना): 

Cut Losses का मतलब है अपने नुकसान को जल्दी पहचानना और उसे स्वीकार करना। जब किसी स्टॉक में नुकसान हो रहा हो, तो उसे जल्दी बेच देना और ज्यादा नुकसान से बचना एक प्रभावी रणनीति हो सकती है। इससे आप अपने पूंजी की सुरक्षा कर सकते हैं और बड़े नुकसान से बच सकते हैं। 

Scalability (स्केलेबिलिटी): 

Scalability का मतलब है कि किसी ट्रेडिंग रणनीति को बड़े स्तर पर लागू करना। यदि कोई ट्रेडिंग रणनीति स्केलेबल है, तो इसका मतलब है कि उसे छोटे से लेकर बड़े आकार तक आसानी से लागू किया जा सकता है। बड़े पूंजी वाले निवेशकों के लिए यह महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि वे अपनी रणनीतियों को विभिन्न बाजार स्थितियों में विस्तारित कर सकते हैं। 

Trailing Stop (ट्रेलिंग स्टॉप): 

Trailing Stop एक प्रकार का स्टॉप-लॉस आदेश है जिसे आप अपने लाभ को सुरक्षित रखने के लिए सेट करते हैं। जब स्टॉक का मूल्य आपके लाभ की दिशा में बढ़ता है, तो ट्रेलिंग स्टॉप अपने आप बढ़ जाता है, लेकिन अगर मूल्य वापस गिरता है, तो यह आदेश सक्रिय हो जाता है और आपके स्टॉक को बेचा जाता है। यह रणनीति आपके लाभ को बचाने में मदद करती है और नुकसान से भी बचाव करती है। 

Debt Market (डेट मार्केट): 

Debt Market वह बाजार है जहां पर ऋण उपकरणों जैसे बांड और अन्य प्रकार के ऋण (debts) खरीदे और बेचे जाते हैं। इस बाजार में निवेशक सरकार, कंपनियों या अन्य संस्थाओं द्वारा जारी किए गए ऋण को खरीदते हैं, और इन उपकरणों से नियमित ब्याज प्राप्त करते हैं। बांड निवेशकों के लिए एक स्थिर और सुरक्षित निवेश विकल्प हो सकते हैं। 

Tax Harvesting (टैक्स हार्वेस्टिंग): 

Tax Harvesting का मतलब है टैक्स बचाने के लिए निवेश की रणनीतियों का उपयोग करना। इसमें निवेशक उन निवेशों को बेचकर नुकसान उठाते हैं जिन पर उन्हें घाटा हो रहा है, ताकि वे अन्य लाभकारी निवेशों पर टैक्स कम कर सकें। इस प्रक्रिया से निवेशक अपने टैक्स बिल को कम कर सकते हैं, खासकर जब उनके पास लंबी अवधि तक लाभ की स्थिति हो। 

ESG Investing (ईएसजी निवेश): 

ESG Investing (Environmental, Social, and Governance Investing) वह निवेश दृष्टिकोण है जिसमें पर्यावरण, सामाजिक और गवर्नेंस (शासन) पहलुओं पर ध्यान दिया जाता है। ESG निवेशक उन कंपनियों में निवेश करते हैं जो पर्यावरणीय, सामाजिक और शासकीय दृष्टिकोण से अच्छे प्रथाओं का पालन करती हैं। यह निवेश एक नैतिक दृष्टिकोण से होता है, जो लंबे समय तक स्थिरता और जिम्मेदार वित्तीय प्रदर्शन सुनिश्चित करने पर केंद्रित होता है। 

FAQ:-

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Conclusion: एक सफल Trader के लिए ज्ञान का महत्व 

Stock Market में शुरुआत करने के लिए इन 110  Terms का ज्ञान आपको बेहतर निवेशक और Trader बनने में मदद करेगा। यह Terms न केवल आपके निर्णय लेने की क्षमता को मजबूत करेंगे, बल्कि आपको जोखिम को संभालने और अवसरों का लाभ उठाने में भी सहायता करेंगे। 

क्या आप तैयार हैं Stock Market में सफलता की ओर बढ़ने के लिए? 😊 

Disclaimer: 

यह लेख केवल शैक्षिक उद्देश्य के लिए लिखा गया है। निवेश करने से पहले एक योग्य वित्तीय सलाहकार से परामर्श अवश्य लें। 

 

 

"Deepak Rai is an IT engineer with 3 years of blogging experience. He has a strong expertise in creating quality content and is currently working with 'Wealth Bazzars'."

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